मौत से ठन गयी ! जूझने का मेरा इरादा न था, मोड़ पर मुड़ेंगे इसका वादा न था , रास्ता रोक कर खड़ी हो गयी , यूँ लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गयी । मौत की उम्र क्या है? दो पल वह नहीं, ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं | मैं जी भर जिया , मैं मन से मरुँ, लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूं ? मौत से बेखबर, ज़िन्दगी का सफर, शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर | बात ऐसी नहीं की कोई गम ही नहीं, दर्द अपने-पराये कुछ कम भी नहीं , प्यार इतना परायों से मुझको मिला, न अपनों से बाकी है कोई गिला , हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये, आँधियों में जलाये हैं बुझते दीये, आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान हैं, नाव भंवरों की बाहों मैं मेहमान है, पार पाने का कायम मगर हौंसला, देख तेवर का, तौरियाँ तन गयी , मौत से ठन गयी ! -श्री अटल बिहारी वाजपेयी - Tags: maut se than gayi , Atal Behari Vajpayee, Poems Photo by: - Submitted by: Atal Behari Vajpayee Submitted on: Category: Non-Original work with acknowledgements Language: हिन्दी/Hindi - Read submissions at http://abillionstories.wordpress.com - Submit a poem, quote, proverb, story, mantra, folklore, article, painting, cartoon, drawing, article in your own language at http://www.abillionstories.com/submit |