Hindi Poems
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मुझे इतनी ऊँचाई कभी मत देना -Atal Behari Vajpayee
मुझे इतनी ऊँचाई ,कभी मत देना ,गैरों को गले न लगा सकूं ,इतनी रुखाई, कभी मत देना | -श्री अटल बिह ...
Posted Jan 10, 2021, 12:21 PM by A Billion Stories
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मौत से ठन गई -Atal Behari Vajpayee
मौत से ठन गयी !जूझने का मेरा इरादा न था, मोड़ पर मुड़ेंगे इसका वादा न था ,रास्ता रोक ...
Posted Jan 10, 2021, 12:00 PM by A Billion Stories
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आओ... 11.01.2021 01:17:15
भरी दुपहरी में अँधियारा ,सूरज परछाई से हारा ,अंतरतन का नेह निचोड़ें ,बुझी हुई बाती स ...
Posted Jan 10, 2021, 11:47 AM by A Billion Stories
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जीवन... 03.12.2018 00:41:19
जीवन - यज्ञ है जब ,मैं - नहीं है और सब - मैं है तब ,जीवन - यज्ञ है | कैसे , कब , क्या, कहाँ - सब ,सीखो जब और ...
Posted Dec 2, 2018, 11:11 AM by A Billion Stories
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क़दम मिला कर चलना होगा -Atal Behari Vajpayee
बाधाएँ आती हैं आएँघिरें प्रलय की घोर घटाएँ,पावों के नीचे अंगारे,सिर पर बरसें यदि ज्व ...
Posted Nov 2, 2018, 6:12 PM by A Billion Stories
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posted Jan 10, 2021, 12:21 PM by A Billion Stories
मुझे इतनी ऊँचाई , कभी मत देना , गैरों को गले न लगा सकूं , इतनी रुखाई, कभी मत देना | -श्री अटल बिहारी वाजपेयी - Tags: mujhe itni oonchaai kabhi mat dena , Atal Behari Vajpayee, Poems
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posted Jan 10, 2021, 12:00 PM by A Billion Stories
मौत से ठन गयी ! जूझने का मेरा इरादा न था, मोड़ पर मुड़ेंगे इसका वादा न था , रास्ता रोक कर खड़ी हो गयी , यूँ लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गयी । मौत की उम्र क्या है? दो पल वह नहीं, ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं | मैं जी भर जिया , मैं मन से मरुँ, लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूं ? मौत से बेखबर, ज़िन्दगी का सफर, शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर | बात ऐसी नहीं की कोई गम ही नहीं, दर्द अपने-पराये कुछ कम भी नहीं , प्यार इतना परायों से मुझको मिला, न अपनों से बाकी है कोई गिला , हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये, आँधियों में जलाये हैं बुझते दीये, आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान हैं, नाव भंवरों की बाहों मैं मेहमान है, पार पाने का कायम मगर हौंसला, देख तेवर का, तौरियाँ तन गयी , मौत से ठन गयी !
-श्री अटल बिहारी वाजपेयी - Tags: maut se than gayi , Atal Behari Vajpayee, Poems
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posted Jan 10, 2021, 11:47 AM by A Billion Stories
भरी दुपहरी में अँधियारा , सूरज परछाई से हारा , अंतरतन का नेह निचोड़ें , बुझी हुई बाती सुलगाएं , आओ फिर से दीया जलाएं |
-श्री अटल बिहारी वाजपेयी - Tags: aao phir se diya jalaaen , Atal Behari Vajpayee, Poems
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posted Dec 2, 2018, 11:11 AM by A Billion Stories
जीवन - यज्ञ है जब , मैं - नहीं है और सब - मैं है तब , जीवन - यज्ञ है |
कैसे , कब , क्या, कहाँ - सब , सीखो जब और "मैंने किया" , मत बोलो तब , जीवन - यज्ञ है |
इस राह पर पहला कदम जब बोलो - सब साथ चलो , और चलो - सबको साथ लेकर , खींचकर , पसीना तर हो जाओ , पर बोलो - मैं नहीं , तब , पथ तुम्हारा यज्ञ है , तब , जीवन - यज्ञ है |
सबके आंसू पोंछो , पर बोलो - मैं नहीं , सबकी भूख मिटाओ , पर बोलो - मैं नहीं , तब जीवन - यज्ञ है |
भलों की करो भलाई , पर बोलो - मैं नहीं , बुरों की करो बुराई , और बोलो - सिर्फ - मैं , तब जीवन - यज्ञ है | देवसुत | |
Photo by: Unknown Submitted by: देवसुत Submitted on: Mon Nov 19 2018 23:27:00 GMT+0530 (IST) Category: Original Language: हिन्दी/Hindi
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posted Nov 2, 2018, 6:12 PM by A Billion Stories
बाधाएँ आती हैं आएँ घिरें प्रलय की घोर घटाएँ, पावों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ, निज हाथों में हँसते-हँसते, आग लगाकर जलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा।
हास्य-रूदन में, तूफ़ानों में, अगर असंख्यक बलिदानों में, उद्यानों में, वीरानों में, अपमानों में, सम्मानों में, उन्नत मस्तक, उभरा सीना, पीड़ाओं में पलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा।
उजियारे में, अंधकार में, कल कहार में, बीच धार में, घोर घृणा में, पूत प्यार में, क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में, जीवन के शत-शत आकर्षक, अरमानों को ढलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा।
सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ, प्रगति चिरंतन कैसा इति अब, सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ, असफल, सफल समान मनोरथ, सब कुछ देकर कुछ न मांगते, पावस बनकर ढ़लना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा।
कुछ काँटों से सज्जित जीवन, प्रखर प्यार से वंचित यौवन, नीरवता से मुखरित मधुबन, परहित अर्पित अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुति में, जलना होगा, गलना होगा। क़दम मिलाकर चलना होगा।
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Photo by: Submitted by: Atal Behari Vajpayee Submitted on: Category: Non-Original work with acknowledgements Language: हिन्दी/Hindi
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posted Sep 9, 2018, 6:34 PM by A Billion Stories
दोहा : श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। चौपाई : जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।। महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।। कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुंडल कुंचित केसा।। हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। कांधे मूंज जनेऊ साजै। संकर सुवन केसरीनंदन। तेज प्रताप महा जग बन्दन।। विद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।। प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।। सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।। भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचंद्र के काज संवारे।। लाय सजीवन लखन जियाये। श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।। रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।। सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।। सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।। जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।। तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।। तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेस्वर भए सब जग जाना।। जुग सहस्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।। प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।। दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।। राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।। सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रक्षक काहू को डर ना।। आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।। भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।। नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा।। संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।। सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा। और मनोरथ जो कोई लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै।। चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। साधु-संत के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।। अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।। राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।। तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम-जनम के दुख बिसरावै।। अन्तकाल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।। और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।। संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।। जै जै जै हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।। जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बंदि महा सुख होई।। जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।। तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।। दोहा : पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
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Photo by: Submitted by: Tulsidas Submitted on: Category: Folklore Language: हिन्दी/Hindi
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posted Sep 13, 2016, 6:37 AM by A Billion Stories
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है देखना है ज़ोर कितना बाज़ु-ए-कातिल में है
करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बातचीत, देखता हूँ मैं जिसे वो चुप तेरी महफ़िल में है
ए शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार, अब तेरी हिम्मत का चरचा गैर की महफ़िल में है
वक्त आने दे बता देंगे तुझे ऐ आसमान, हम अभी से क्या बतायें क्या हमारे दिल में है
खैंच कर लायी है सब को कत्ल होने की उम्मीद, आशिकों का आज जमघट कूच-ए-कातिल में है
यूँ खड़ा मक़तल में क़ातिल कह रहा है बार-बार, क्या तमन्ना-ए-शहादत भी किसी के दिल में है
वो जिस्म भी क्या जिस्म है जिसमें ना हो खून-ए-जुनून तूफ़ानों से क्या लड़े जो कश्ती-ए-साहिल में है,
हाथ जिन में हो जुनूँ कटते नही तलवार से, सर जो उठ जाते हैं वो झुकते नहीं ललकार से और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है,
है लिये हथियार दुशमन ताक में बैठा उधर, और हम तैय्यार हैं सीना लिये अपना इधर खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है,
हम तो घर से निकले ही थे बाँधकर सर पे कफ़न, जान हथेली पर लिये लो बढ चले हैं ये कदम जिन्दगी तो अपनी मेहमान मौत की महफ़िल में है,
दिल में तूफ़ानों की टोली और नसों में इन्कलाब, होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको ना आज दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंज़िल में है, ------- Editors Note: This work is popularly attributed to Ram Prasad Bismil though he was not the author.
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Photo by: Submitted by: बिस्मिल अज़ीमाबादी Submitted on: Category: Folklore Language: हिन्दी/Hindi
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posted Sep 4, 2016, 9:05 PM by A Billion Stories
प्यार की बातें बोलकर मुझे बहलाओ मत , अभी बोलो तुम आओगे कब ? बच्चे रोते हैं, पर पूछते नहीं हैं तुमको , हँसकर मैं भी जवाब नहीं देती उनको । तुम्हारे पैसों से खाना बनता है, ख़ुशी नहीं , बिन बाप के बच्चे, बढ़ेंगे कैसे? पता नहीं ! मुझे पैसों की भरमार नहीं , ख़ुशी चाहिए , तुम्हारा हाथ, तुम्हारा साथ चाहिए । पैसे अब काफी हैं ज़िन्दगी काटने के लिए , बच्चों की देख-रेख और पढ़ाई के लिए । बाकी जो बचा, वह कुछ कर लेंगे इधर-उधर , अभी बोलो, तुम आओगे कब ?
-देवसुत
Photo by: Submitted by: देवसुत Submitted on: Mon Sep 05 2016 00:00:00 GMT+0530 (IST) Category: Original Language: हिन्दी/Hindi
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posted Sep 4, 2016, 9:02 PM by A Billion Stories
सड़क ------
सड़क बनी है लंबी चौड़ी उसमे जाती मोटर दौड़ी सब बच्चे पटरी पर जाओ बीच सड़क कभी न जाओ जाओगे तो दब जाओगे चोट लगेगी पछताओगे जोकर --------- सरकस में है आता जोकर , सबका दिल बहलाता है । सिर पर लम्बा टोप पहनकर , नकली नाक लगता है । रंग बिरंगा चेहरा करके, हँसता और हँसाता है |
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Photo by: Submitted by: देवसुत Submitted on: Mon Aug 01 2016 22:03:54 GMT+0530 (IST) Category: Story-Folklore Language: हिन्दी/Hindi
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posted Mar 19, 2016, 8:31 AM by A Billion Stories
ह्रदय का क्रंदन या प्रिये का वंदन या करूँ शंखनाद अंजुली भर भर अनादर मैं पी चूका जहर तेज था मैं जी चूका
प्रिये अब तो समझ जाओ अप्रिय बोल से जी ना जलाओ मैं जो जला तो तुम्हे क्या सुख दे पाउँगा ? अंदर के अनल में जल अंदर राख बन जाऊंगा
जो जल जायेगा मन तन का मोल ना रह जायेगा तन दिखेगा सुन्दर बस एक खोल ही तो रह जाएगा
हम नही मिले लड़ने के लिए अभी तो तवा पर आरजू भी ना हुई पास रहकर प्रेम की की एक ग़ुफ़्तगू ना हुई
कभी आओ प्रिये अपनी मर्जी से साथ रहकर देखो की इन झगड़ों में कितना रस है ,क्योँ दूर हो खुदगर्जी से।
-Amar
Photo by: - Submitted by: Amar Submitted on: Wed Feb 17 2016 13:55:48 GMT+0530 (IST) Category: Original Language: हिन्दी/Hindi
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